justice for Karan Kataria on interfere of Rahul Gandhi's closer in student union election
हिंदू संगठनों से संबंध के कारण अयोग्य
‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ में भारतीय छात्र को अयोग्य घोषित कराने के पीछे राहुल गाँधी की करीबी प्रोफेसर! व्हाट्सएप्प चैट में दिखी हिन्दू घृणा
फैक्ट्स :
हरियाणा का कारण कटारिया पर भेदभाद ये लंदन की दूसरी घटना है।
पहले रश्मि सामंत शिकार हुई।
ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में हिंदूफोबिया का शिकार हुई रश्मि सामंत के बाद अब लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) में करण कटारिया के साथ नस्लीय भेदभाव की घटना सामने आई है। इस भेदभाव के कारण उन्हें विश्वविद्यालय में स्टूडेंट यूनियन के चुनाव में डिसक्वालिफाई करा दिया गया। इसके पीछे कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी की करीबी मुकुलिका बनर्जी का नाम सामने आ रहा है।
हिंदू दक्षिणपंथी संगठन आरएसएस के साथ संबंध होने के कारण मुकुलिका बनर्जी करण कटारिया के खिलाफ घृणा अभियान चला रही थीं। इस कारण उन्हें स्टूडेंट यूनियन के चुनाव के अयोग्य कर दिया गया। बनर्जी के इस हस्तक्षेप को पहले ही LSE प्रशासन के संज्ञान में लाया जा चुका है।
हिंदू और भारत विरोधियों का गढ़ बना लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स
गुरुग्राम के करण कटारिया (22) ने कहा कि
उसे उसकी ‘भारतीय और हिंदू पहचान’ के कारण एलएसई छात्र संघ (एलएसईएसयू) के महासचिव की उम्मीदवारी से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
हिंदू होने की वजह से उन्हें टारगेटेड हमलों का सामना करना पड़ा है।
यहां कुछ लोग भारतीय हिंदू को LSESU में अहम पद पर नहीं देखना चाहते.
कौन है करण
करण कटारिया गुरुग्राम के रहने वाले हैं और वहां पढ़ाई कर रहे हैं।
2022 में गुरुग्राम के एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी से BBA, LLB में यूनिवर्सिटी टॉप करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया था। इसके बाद वे लंदन में पढ़ने पहुंचे और 7 माह में अच्छी छवि बनाई।
एलएसई कैंपस में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे कटारिया को भी थोड़े समय के लिए नेशनल यूनियन फॉर स्टूडेंट्स के प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था और अपने साथियों द्वारा एलएसईएसयू के महासचिव पद के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित किया गया था।
कटारिया ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा,
‘जब मैंने एलएसई में अपनी पोस्ट-ग्रेजुएट पढ़ाई शुरू की, तो मुझे ईमानदारी से छात्र कल्याण के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने और पूरा करने की उम्मीद थी। लेकिन मेरे सपने तब चकनाचूर हो गए जब पूरी तरह से मेरी भारतीय और हिंदू पहचान के कारण मेरे खिलाफ एक जानबूझकर बदनाम अभियान चलाया गया।’
‘दुर्भाग्य से, कुछ लोग एक भारतीय-हिंदू को एलएसईएसयू का नेतृत्व करते हुए नहीं देख सकते थे और मेरे चरित्र और पहचान को बदनाम करने का सहारा लिया, जो स्पष्ट रूप से खतरनाक संस्कृति के अनुरूप था जो हमारे सामाजिक समुदायों को बदनाम कर रही है।’
सभी राष्ट्रीयताओं के छात्रों से अपार समर्थन प्राप्त करने के बावजूद, उन्हें एलएसईएसयू के महासचिव चुनाव से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
उनके खिलाफ कई शिकायतें शुरू की गईं और उन पर होमोफोबिक, इस्लामोफोबिक, क्वीरफोबिक और हिंदू राष्ट्रवादी होने का आरोप लगाया गया।
मतदान के दिन, भारतीय छात्रों को उनकी राष्ट्रीय और हिंदू धार्मिक पहचान के लिए धमकाया गया और निशाना बनाया गया।
अन्य छात्र
कुछ समय पहले ऐसा ही नस्लीय भेदभाव ऑक्सफॉर्ड की रश्मि सामंत के साथ भी हुआ था। उस समय उन्हें स्टूडेंट यूनियन के चुनाव जीतने के कुछ समय बाद वामपंथियों ने निशाना बनाया।
रश्मि सांवत इस ताजा घटना पर लिखती हैं,
“जब हिंदू धर्म में पैदा और उससे जुड़े बैकग्राउंड होने के कारण मुझपर हमला हुआ, मेरा शोषण किया गया, मुझे बुली किया गया..
मैंने सोचा था कि काश ये सब किसी और केस साथ न हो। मगर करण की कहानी और अनुभव फिर दिल दुखाने वाला है।”
छात्रा तेजस्विनी शंकर ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में आरोप लगाया कि
"छात्र संघ चुनाव में कटारिया का समर्थन करने के लिए उसे निशाना बनाया जा रहा है।"
छात्र संघ ने उचित कार्रवाई करने से इनकार कर दिया।
यह अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के उच्चतम स्तर पर बदमाशी और उत्पीड़न है जो खुद को समावेशिता और विविधता पर गर्व करते हैं और मैं उसी के संबंध में एलएसई द्वारा निष्क्रियता की कड़ी निंदा करती हूं।’
मुकुलिका बनर्जी का हाथ
इसके पीछे कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी की करीबी मुकुलिका बनर्जी का नाम सामने आ रहा है।
हिंदू दक्षिणपंथी संगठन आरएसएस के साथ संबंध होने के कारण मुकुलिका बनर्जी करण कटारिया के खिलाफ घृणा अभियान चला रही थीं। इस कारण उन्हें स्टूडेंट यूनियन के चुनाव के अयोग्य कर दिया गया। बनर्जी के इस हस्तक्षेप को पहले ही LSE प्रशासन के संज्ञान में लाया जा चुका है।
मुकुलिका बनर्जी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) में मानव विज्ञान की प्रोफेसर हैं।
वह यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया सेंटर की निदेशक भी हैं।
मुकुलिका बनर्जी लंबे समय से पश्चिमी देशों की मीडिया में ‘मुस्लिम अंडर अटैक इन इंडिया’ करती रही है।
बनर्जी लंदन में अकादमिक और नीतिगत हलकों में बहुत प्रभावशाली महिला हैं।
वह वाम-उदारवादी और हिंदू-विरोधी प्रोपेगेंडा का प्रचार करती हैं।
उन्हें आरएसएस, हिंदुत्व और नरेंद्र मोदी-विरोधी के रूप में जाना जाता है।
जनवरी 2020 में उन्होंने ‘संडे टाइम्स’ में एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था, ‘मोदी मुसलमानों के प्रति अपनी नफरत खुलेआम दिखाते हैं और भारत के संविधान का मजाक बनाते हैं’।
मुकुलिका राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी शामिल हुई थीं।
उन्होंने राहुल गाँधी की लंदन में मेजबानी भी की थी। जब यात्रा समाप्त हुई तो वह राहुल गाँधी के लंदन दौरे के दौरान कई कार्यक्रमों की व्यवस्था करने में मदद की थीं।
उन्होंने राहुल गाँधी की हाउस ऑफ कॉमन्स में कार्यक्रम आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राहुल गाँधी को LSE साउथ एशिया सेंटर को संबोधित करने के लिए अपने कार्यालय का इस्तेमाल किया, जिसकी वह निदेशक हैं।
मुकुलिका का एक ह्वाट्सएप चैट भी सामने आया है, जिसके माध्यम से वह आरएसएस के साथ संबंध रखने के कारण करण कटारिया को वह बदनाम करने की हद तक आगे बढ़ जाती हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें