डॉ हेडगेवार और संघगाथा का अंश


वे बीज बनकर संघ सृजन कर गए,
संघ का कण कण आत्मसात धर गए,
रीतियां यूं मुस्कुरा कर बुझ  रही हमसे,
जैसे केशव पद्धतियां कह रहे हमसे,
अनुभूति होती हो प्रतिपल ऐसी संघ में,
नीति जैसे पूजनीय केशव रमें हो इसमें,
ध्येय इतना विशाल अमिट है जो पाया,
भगवा ध्वज गुरु अपना मर्म इसमें समाया,

लक्ष्य अपना दूरगामी उसकी ओर हम बढ़ रहे,
केशव प्रेरित मार्ग द्वारा राष्ट्रविरोधियों से भिड़ रहे,
रुकेंगे ना हम, थकेंगे ना हम, झुकेंगे ना हम कभी,
अविरल चलते संघ मार्ग पर लक्ष्य तक पहुंचें सभी,
केशव जी का लक्ष्य इतना विराट था जो आज भी,
अनुभूति पा रही विश्व के सज्जन शक्तियां वे सभी,

दूर नहीं दिन कह सकेंगे गाथा जो की है हमने शुरू,
पीड़ियों के प्रयास से फिर शीघ्र बनेंगे हम विश्वगुरु,
सतत् कार्य व प्रयास से हम फिर बनेंगे एक खंड,
अंतिम लक्ष्य अपना जब हो अपना भारत अखंड।

🚩।। भारत माता की जय।।🚩

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