Understanding RSS

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*`Ideas of India Summit 2025 ABP News`*
*Program:- Understanding RSS*
*Reporter :- Megha Prasad*
*Answered by :- Arun Kumar Ji (Sahsarkarywah RSS)*

●संघ को यदि समझना है तो संघ की आंखों से देखना चाहिए क्योंकि संघ के साथ ऐसा है कि संघ की बात पहले पहुंच जाती है और संघ बाद में पहुंचता है तो जहां फिर हम पहुंचते हैं वहां अनेकों प्रश्न उत्तर हमारे सामने आते हैं हालांकि कभी कभी इसमें आनंद भी आता है।
● "भारत" एक राष्ट्र है, प्राचीन राष्ट्र है, सनातन राष्ट्र है, हिंदू राष्ट्र है।
● भारत के बारे में तीन विचार प्रचलित हैं:- 
एक विचार कहता है कि भारत 1947 के बाद राष्ट्र बना या बनना प्रारंभ हुआ। 
 दूसरा विचार कहता है कि भारत कई राष्ट्रों से मिलकर बना है, यह एक Sub- Continent है। 
ये दोनों ही विचार गलत है।
● पश्चिम में राज्य Nation बनाते हैं लेकिन जैसा कि रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा है कि भारत में व्यक्ति, व्यक्ति से राष्ट्र बनता है। राष्ट्र पहले बना है इसका वर्णन वेदों में, रामायण, महाभारत आदि में हैं राज्य बाद में आवश्यक अनुसार बने स्वरूप बदलता चला गया।
अपने यहां विविधता अनेक, खानपान अनेक लेकिन राष्ट्र एक ऐसा है।
● "हिंदू" जब हम कहते हैं तो यह religion नहीं है यह Term है जो मानती है कि :- 
सब मातृभूमि के प्रति श्रद्धा
ईश्वर को पाने के सब मार्ग सच्चे हैं।
इसको Hinduness कहते हैं।
● संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार कहते थे जी अपने पतन का दोष दूसरे को मत दो 
अपने में कुछ कमियां आ गई होगी 
राष्ट्र का उत्थान करना है तो समाज का उत्थान करना पड़ेगा।
● इसके लिए 4 बातें का आग्रह हम समाज से करते हैं
- एक राष्ट्र का भाव 
-  राष्ट्र के लिए निस्वार्थता का भाव
- समाज का संगठन(मिलकर काम करना)
- अनुशासन
ये सब होगा तो राष्ट्र उन्नति करेगा। ये सब भाषणों, आंदोलनो से नहीं होगा एक-एक व्यक्ति को बदलना होगा। व्यक्ति परिवर्तन से ही समाज परिवर्तन होता है। 
●जैसा समाज बनाना है वैसे व्यक्ति बनाइये जब एक optimum level पर ये आ जाएगा तो समाज का वातावरण बदल जाएगा।
● नागपुर से शूरू हुआ संघ, शाखा व मिलन  लेकर हम प्रांत में जिलों में नगर/खंड में पहुंचे अगला Target है 10,000 Population पर ग्रामीण क्षेत्र में मण्डल व नगरों में बस्ती तक हमको जाना है।
● 1,20,000 units में अभी हम लगभग 65% तक है शताब्दी वर्ष में लगभग सभी units तक जाना है।
● 50,00,000 स्वयंसेवक हैं, जब हम कहते हैं कि In Action (सक्रिय) हैं तो हमारी तीन अपेक्षाएं उनसे हैं:- 
* जो परिवर्तन चाहते हैं वह जीवन में लेकर आइये, आपके शब्द नहीं जीवन बोलना चाहिए। जिम्मेदार नागरिक के नाते जो अपेक्षाएं हैं वह पूरी हो।
* जहां आप रहते हैं आवश्यकता के अनुसार व सभी अच्छे कार्यों में आप भागीदारी करिए। Crisis, बाढ़, Covid आदि संकटो के काल में सहयोग करें।
* अपनी योग्यता, प्रतिभा, रुचिअनुसार ससमाज कार्य करना व उससे पैसा नहीं कमाना
●ऐसे ही आज स्वयंसेवक 50 से अधिक संगठन बनाकर व 500 से अधिक संस्थाएं चलाकर समाज जीवन में कार्य कर रहे हैं।
● "सर्वेषां अविरोधन" कार्य है हमारा कोई विरोधी नहीं है, हम दो ही प्रकार के लोगों को मानते हैं एक जो संघ में आ गए दूसरे जो अभी आना बाकी है।
● कट्टर व Rigid विचार 100 वर्षों तक नहीं चलता। संघ में हर प्रकार के लोग जुड़े हैं। 
●100 वर्ष हो गए कुछ Satisfactions हैं कि संघ आज भी संघ हैं, विचार बदला नहीं है और संघ आज भी युवा है।
समाज ने संघ को स्वीकार किया, एक बड़ी संख्या में समाज अपने आप जुड़ने को तैयार हो रहा है।
Dissatisfaction है कि संघ का कार्य अपनी शताब्दियां मनाने के लिए नहीं हुआ हम जल्द से जल्द अपना कार्य पूरा करना चाहते हैं। जैसा समाज बनाना है उसमें इतना समय लग गया और भी समय अभी लगेगा यह पहले हो जाना चाहिए था।
● 1000 वर्ष तक हम लगातार संघर्षरत रहे, तुर्की, मुगलों द्वारा हमारे Institution collapse हो गए और British काल से Loss Of Memory हो गया। अब इन 75 वर्षों में लोगों में अपने को जानने की भावना भी बढ़ी है जो यह राष्ट्रभाव, संस्कृति गौरव जो जगा है यह positive sign है। आध्यात्म जानना व जीने की इच्छा व एक ही बात की How can I contribute? 
● तुष्टिकरण की राजनीति सभी को नकारनी ही चाहिए इसी के कारण दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन हुआ। 
●संघ का काम एक एक व्यक्ति को जोड़ने का काम है और यह काम आत्मीयता, मित्रता से ही होता है Bjp की सरकार से संघ के काम में अंतर पड़ेगा ऐसा नहीं है। वह तो संघ के कार्यकर्ताओं के परिश्रम के आधार पर ही होने वाला है।
Culture and Texture 
* प्रचार से दूर रहते हैं( प्रसिद्ध प्रांगमुक्ता)
* अनामिकता 
* निस्वार्थता  
ऐसा हम रहते हैं।
लेकिन आज संघ Center of Attraction भी है तो कई बार ऐसी बाते संघ के बारे में  मीडिया में छपती हैं जिनसे संघ कोई संबंध भी नहीं है जब उसका उत्तर देना पड़ता है तो बड़ी कठिनाई होती है। 

जो लोग कामों के लिए आते हैं थोड़े समय बाद उन्हें ध्यान आ जाता है कि यहां कुछ होने वाला नहीं है, टिकता वही है जो हमारा हो जाता है। सब दृष्टि के लोग आते हैं। 
इतना जरूर कर देते हैं कि कोई Genuine बात आई तो राजनीति क्षेत्र में कोई मित्र बंधु है तो उन तक पहुंचा देते हैं लेकिन सामान्य इसमें हम पड़ते नहीं है। आने वाले को भी ध्यान में आ जाता है कि गलत दरवाजे पर आ गया समय नष्ट हो गया, वह सही रास्ता ढूंढना प्रारंभ कर देते हैं तो हमे दिक्कत नहीं है।
●"Economist" Megzine के संघ पर artical के जवाब में....
 मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना जनसंघ व BJP की साधना व 63 वर्षों की उनकी यात्रा का परिणाम है व उनकी Cabinet में Parliamentary Elected Members है, लोगों ने उनको चुना व उनमें से उन्होंने(मोदी जी ने) चुना ऐसा मानकर हमको चलना चाहिए।
संघ के निकट का कोई है तो वह हमारी साधना है संघ का एक संपर्क विभाग है Out Reach के लिए जैसे कोई स्थापित व्यक्ति कोई scientist, कोई Industrialist आदि हमारे कार्यक्रम में आता है तो हमारी 5-7-10 साल की साधना होती है।
हम वर्षो से उनको संपर्क करते हैं, सम्बंध बनाते हैं, contact करते हैं फिर communication करते हैं, relation cultivate करते हैं व उनको संघ के निकट लाते हैं उस नाते वह संघ के कार्यक्रमों में आते हैं।
● कार्यो का प्रचार क्यों नहीं करते प्रश्न के उत्तर में.. 
"Man Making Nation Building"
Man Making संघ करता है,
समाज के काम समाज के सहयोग से हम काम करते हैं, केवल हम काम नहीं करते इसीलिए अकेला संघ श्रेय लेगा यह अच्छी बात नहीं है।
हम Initiate करते हैं, समाज को जोड़ते हैं, समाज की संस्थाओं का सहयोग लेते हैं व काम करते हैं।
दूसरा कार्य करते हैं तो प्रचार होता ही है, कार्य से ज्यादा प्रचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
काम से ज्यादा प्रचार हो जाता है तो अपेक्षा बढ़ जाती है तो समस्या बढ़ जाती है।
● संघ के बदलाव के उत्तर में ....
3 बातें संघ में कभी नहीं बदली इसको छोड़कर सब कुछ बदल हुआ है 
* विचारधारा
* कार्यपद्धति (विकेंद्रीकरण)
* अनुशासन स्वावलंबन
बाकी सब समय के अनुसार हमने बदला है गणवेश, शिक्षण , कार्यक्रम स्वरूप आदि।
●संघ से जुड़ने के तरीके 
सामान्यतः संघ की पहुंचने का प्रयास करता है, सीधा भी जो लोग प्रयास करते हैं जो joinRSS हमारी site चलती है। हर महीने 10,000 Request आ रही है और संघ में आने की कोई पूर्व शर्त नहीं है कोई भी संघ में आ सकता है।
हम जब जोड़ते हैं तो आत्मीयता, मित्रता के आधार पर जोड़ते हैं, उनके अंदर समाज देश कार्य करने की भावना पैदा करते हैं तो वह खुद भी आता है व दूसरों को भी जोड़ता है।
स्वयंसेवक वर्ष में 3-4 नए व्यक्तियों को संघ से जोड़ते हैं अभी हमारे 70-75 हजार शाखा-मिलन चलते हैं वे लोग नए स्थान पर काम करने का प्रयास करते हैं तो यह हमारा Continuous काम है।
●भाषा को लेकर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है, हर राज्य को अपनी भाषा का विकास करना चाहिए स्थानीय कार्य उसी भाषा में होने चाहिए। संघ के द्वितीय सरसंघचालक जी ने उस समय इसी प्रश्न के उत्तर में कहा था भारत में सब भाषाएं राष्ट्र भाषाएं हैं, सभी में एक राष्ट्र का भाव है। सभी भाषाओं का विकास होना चाहिए। भाषाएं अनेक हैं भाव एक है। अभी Administration के लिए एक Common National language चाहिए तो किसी समय वो संस्कृत थी आज किसी कारण वो संभव नहीं है तो हिंदी होगी। English करेंगे तो वो Common International Language होगी लेकिन अभी इसके कारण स्थानीय भाषाओं पर संकट आ गया है सभी English medium की ओर दौड़ रहे हैं।
Common National Language के लिए हिंदी का उत्थान हो। हिंदी को स्वाभाविक रूप से व्यवहार में आने देना चाहिए जब हम ज़बरदस्ती करेंगे तो उसकी प्रतिक्रिया भी होती है।
कभी कभी जो अपने स्वार्थों के लिए जो विरोध करते हैं उन की अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है समाज बहुत समझदार है।
● जनसंघ का जन्म Artical 370 के लिए हुआ व राम मंदिर Bjp का Agenda था 1987 में उन्होंने इसे पारित किया था। जम्मू कश्मीर में प्रचारक रहा तो वे लोग जानते थे कि जिस दिन लोकसभा व राज्यसभा में बहुमत होगा 370 हट जाएगा उन्हें इसे लेकर कोई confusion नहीं है बाकि देश में हो सकती है।
● भारत का स्वर्णकाल आएगा तो वही संघ का स्वर्णकाल भी होगा जब पूर्ण विकसित, वैभव संपन्न,एक सशक्त, विश्व के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करने वाला जिसको हम विश्वगुरु कहते हैं वो भारत खड़ा होगा वो भारत का स्वर्णकाल होगा वही संघ का स्वर्णकाल होगा उसी के लिए हम काम कर रहे हैं।
पथ का अंतिम लक्ष्य नहीं है सिंहासन चढ़ते जाना
सर्व समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना
हम समाज को एकात्म, देश भक्ति से ओतप्रोत,जाति भेद से ऊपर उठकर, भारत माता की संतान प्रत्येक मेरा सगा भाई इस भाव के साथ अपने देश के लिए जीने वाला समाज खड़ा हो वह समाज अपने राष्ट्र को परम् वैभव शक्तिशाली बनाकर विश्व कल्याण के अपने कृण्वन्तो विश्वार्यम के लक्ष्य को पूरा करने वाला बने वो जब होगा वह भारत का स्वर्णकाल होगा संघ का स्वर्णकाल होगा।
●भारत और संघ यह अलग नहीं है, संघ को हम संस्था नहीं मानते हम संघ यानी Gole of RSS to Transform the Society.
हम संघ नहीं बना रहे हम समाज बना रहे हैं जब ऐसा समाज बन जाएगा वह स्वर्णिम काल होगा।
● Abroad में दूसरे देशों के लिए Tolerance कम हो गई है के उत्तर में.....
 इसमें हर देश का Perspective अलग- अलग है  Europe, US के अंदर immigrant आये शरणार्थी बनकर आए
चाहिए यह था कि जिन्होंने शरण दी उनकी परंपरा, रीति नीति उनके साथ वो मिक्स होते उनकी परम्पराओं के प्रति एक अच्छा भाव रखते लेकिन उनके वहां Mix-up होने के स्थान पर Rule of Shariya आदि ये सब बातें प्रारंभ की तो उसका Reaction वहां पर है वहां जो लोग आए सब अलग देशों से आए। उनका problem थोड़ा अलग प्रकार का है जिस देश को जिस रास्ते पर चलकर कठिनाइयां आई अब उन कठिनाइयों में वह रास्ता ढूंढ रहे हैं उनको अपने जो Maintain रखना है इसलिए ऐसा विचार कर रहे हैं।मुझे लगता है कि हर देश का  Perspective अलग होता है। 
भारत को भारत के परिप्रेक्ष में सोचना है भारत में मुसलमान- ईसाई यह अधिकांश भारत के ही रहने वाले लोग हैं हमारे लोगों में से ही मतांतरित हुए। ये हमारे लोग हैं ये बात हमारे ध्यान में रहनी चाहिए विदेशों में वहां सेपरेट एथनी सिटीज़ हैं यहां Majority of people जो है वो बाहर से नहीं आये उसको थोड़ा अलग ढंग से देखिए।
दूसरा राष्ट्र प्रथम के बारे मे सोचना यह वह नहीं है यह मानकर चलना चाहिए कि प्रत्येक देश को अपने हित का विचार करना ही चाहिए लेकिन यह करते हुए दूसरे के प्रति वैर या द्वेष भाव रखना यह उसको नहीं चाहिए, यह उनके अंदर स्पष्ट रहे राष्ट्रहित के नाते सोचना कुछ गलत नहीं है।
●विश्व में Minority in Danger के उत्तर में... 
पाकिस्तान बांग्लादेश में 1947  में 32% हिंदू थे आज 8 % है जबकि भारत में 8-9% मुसलमान थे आज 14% है तो भारत की तुलना उसमें नहीं हो सकती।
कुछ छूट पूट घटनाओं को उसके साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि भारत में हम सब मार्गों को सच्चा मानते हैं कभी कभी हमारी उदारता जो कमजोरी समझा जाता है उस नाते कठिनाइयां आती है लेकिन उसको भी हमको निकालना है धीरे धीरे हम अपने देश के संविधान के अंतर्गत इन सब विषयों का समाधान भी करेंगे लेकिन पाकिस्तान बांग्लादेश के Minority की तुलना भारत की Minority के साथ नहीं कर सकते।
दुनिया के हर देश का perspective अलग है उसके अनुसार वहां जैसा है वैसा हमको सोचना चाहिए।
● प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघ के वटवृक्ष वाले कथन के उत्तर में....
गर्व और आनंद की अनुभूति होती है।
कोई साथी अपने किसी क्षेत्र में शीर्ष पर जाता है तो अनुभूति तो होती ही है।
स्वर्णयुग तो वही होगा जैसा भारत चाहते हैं वैसा भारत बनेगा।
इस सारे में से मैं सभी को यही बात कहता हूं कि जब संघ प्रारंभ हुआ तो डॉ साहब ने एक ही बात कही थी जैसा भारत हम बनाना चाहते हैं वैसा भारत बन गया और यह संघ ने बनाया ये कहीं इतिहास में दर्ज हो गया तो हम असफल हो गए, संघ को अपना नाम इतिहास में अमर नहीं करना ऐसा संघ के मन में बिल्कुल भी कल्पना नहीं है।  इसीलिए पहले कहा कि संघ को किसी बात का श्रेय नहीं चाहिए। हम समाज बनाना चाहते हैं ऐसा समाज जो है वो राष्ट्र बनाए।
हमारी कल्पना समाज बनाने की है, देशभक्ति, अनुशासन, संगठन, और निस्वार्थ, त्याग, समर्पण इसके आधार पर जीने वाला भारत खड़ा करना यह काम है। जिस दिन वो भारत बनेगा जो भारत बनाना चाहते हैं वो बनाएंगे और वह भारत बनाने का काम समाज का है हमारा नहीं है और हमारा काम ऐसा समाज बन जाये वैसा वातावरण तैयार करने में लगे हुए हैं मुझे लगता है कि हम 100 साल में अपने लक्ष्य से अटके नहीं भटके नहीं, रुके नहीं लगातार आगे बढ़ रहे हैं समाज का जिस प्रकार का सहयोग है बहुत शीघ्र अतिशीघ्र जैसा समाज हम देखना चाहते हैं वैसा चित्र हम देखेंगे उसके बाद भारत का स्वर्णकाल खड़ा होगा भारत के समाज के आधार के ऊपर। 
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