हर बार हिंदू ही क्यों??
किसी भी मीडिया प्लेटफार्म पर चले जाओ जिसको देखो हिंदुओ को ही सुझाव दे रहा है।
अरे तथाकथित सेक्युलरों
क्या हिंदू भारत का नागरिक नहीं है क्या?
हिंदू के अंदर कोई भावना नहीं है क्या?
हिंदू को हिंदुस्थान में रहने के लिए कितने कष्ट सहने होंगे?
क्या हिंदुओ का मानवाधिकार नहीं होता क्या?
वर्षों से यही उल्टी गंगा बहती आ रही है...
जो नसबंदी का विज्ञापन उर्दू में लिखना था वो हिंदी में लिखते रहे...
जो धर्मनिरपेक्ष का पाठ मस्जिदों/मदरसों व गिरजाघरों में पढ़ाना था मंदिरों व गुरूद्वारों में पढ़ाते रहे...
जो प्यार,भाईचारे की कक्षा शांतिदूतों के लिए होनी चाहिए थी वो सनातनियों को दी गई...
जो अपेक्षा शांति बनाए रखने के लिए तथाकथित अल्पसंख्यकों से करनी चाहिए थी वो हिंदुओ से की गई।
आखिर कब तक सहेगा हिंदू कब तक
और कब जगेगा हिंदू , न जाने कब??
ख़िलजी आया ,हिंदू नहीं जागा,
गौरी आया ,हिंदूनहीं जागा
गजनवी आया,हिंदू नहीं जागा,
बाबर आया,हिंदू नहीं जागा
कश्मीर पर नहीं जागे,
केरल और बंगाल पर नहीं जागे
अंग्रेजों ने हमें जातियों में बांटा ,हम बंट गए,
जिसने जगाने का प्रयास किया उसी का विरोध किया।
आज फिर वही स्थिति है वो #काफिर कहकर मार रहे हैं वो हिंदू कहकर मार रहे हैं लेकिन हम अभी भी जातियों के झंडे को लिए बैठे हैं।
स्कूल में एक दोहा पढ़ा था शायद आपने भी पढ़ा होगा
जाति न पूछो साध की पूछ लीजियो ज्ञान,
मोल करो तलवार का पड़े रहते दो म्यान।
इसको आज सच में मानने की आवश्यकता है
#हिंदुआ_सहोदरा_सर्वे_न_हिंदू_पतितो_भवे ।
#मम्_दीक्षा_हिंदू_रक्षा_मम्_मंत्र_समानता ।।
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